हो आधी अधूरी इस दास्तान में
कैसे कोई रंग लाये
कैसे कोई मुस्कुराये
इतने ग़मों में दो पल खुशी के
कैसे भला याद आयें
तुमको भुला ना पायें
इक प्यासी प्यासी बूँद में
जो मन मेरा जला
हर लम्हा लम्हा तेरी ही यादों से था ये भरा
इक आधी आधी आस थी जो पूरी हो गयी
तुम मिल गये तो जाने क्यूँ ये दूरी हो गयी